भाखड़ा नहर में गिरी कार, फौजी शीशा खोलकर निकला फौजी; पिता और बुआ को नहीं बचा पाया

रोपड़ में शनिवार दोपहर बाद एक कार अनियंत्रित होकर नहर में गिर गई। इस घटना में बुजुर्ग भाई-बहन की मौत हो गई। बताया जाता है कि गाड़ी गिरते वक्त इसे चला रहे फौजी ने फूर्ति से शीशा खोला और जान बचाने में कामयाब रहा। हालांकि फौजी ने पहले बुआ को तो उनके मना करने पर पिता को बचाने को कोशिश भी की, लेकिन इसी बीच गाड़ी पूरी से डूब गई। चार घंटे बाद गाड़ी और इसमें फंसे फौजी के पिता और बुआ को निकाला गया तो दोनों की मौत हो चुकी थी।


 


 


 




गांव आलोवाल के सुखविंदर सिंह उर्फ टोनी ने बताया कि वह फौज में कार्यरत हैं। उनके 52 वर्षीय पिता हरबंस को पथरी की समस्या है। कई दिन से उनकी तबीयत ठीक नहीं होने के चलते उन्होंने फोन करके कहा था, 'तू मेरी खबर लेने नहीं आया'। इसी के चलते शुक्रवार को ही छुट्‌टी लेकर पिता का हाल जानने के लिए घर आया। शनिवार को जब पिता को दवाई दिलवाने घनौली से अपने गांव आलोवाल जा रहे थे तो रास्ते में उनकी बुआ गीता देवी (60) भी मिल गई।



करीब ढाई बजे गांव से महज 2 किलोमीटर पहले रास्ते में गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और कार भाखड़ा नहर में जा गिरी। इसके बाद उसने शीशा खोलकर बुआ को करीब निकाल ही लिया था कि उसकी बुआ बोली कि ‘पहलां मेरे भ्रा नू बाहर कड्‌ढ (पहले मेरे भाई को निकाल)’। इसके बाद जैसे ही अपने पिता को निकालने की कोशिश की तो कार एक दम नीचे बैठ गई। उसने दोनों को निकालने की पूरी कोशिश की, लेकिन कार एकदम गहरे पानी में नीचे बैठ गई और वह किसी तरह तैरकर उपर आ गया। पास ही खेत में पानी दे रहे एक युवक ने रस्सी फेंककर उसे बाहर निकाला।



रस्सी फेंककर फौजी सुखविंदर सिंह को बचाने वाले गांव के ही कुलदीप सिंह (18) ने बताया कि अचानक एक मोटरसाइकल सवार ने उसे आवाज देकर बुलाया और किसी के डूब रहे होने के बारे में बताया। इसके बाद डूब रहे युवक सुखविंदर को निकाला गया। इसके बाद करीब साढ़े 6 बजे गाड़ी और उसमें फंसे सुखविंदर के पिता व बुआ को निकाला गया। उन दोनों की मौत हो चुकी थी। सूचना पाकर पुलिस ने इत्तफाकिया मौत की कार्रवाई करते हुए दोनों शवों को मोर्चरी भिजवा दिया है।