सरकार के खिलाफ बोलने से काम में दिक्कतें आती हैं, मैं ढाई सालों से परेशान हूं: तिग्मांशू धूलिया

फिल्म निर्देशक तिग्मांशू धूलिया को लगता है कि सरकार के खिलाफ बोलने से परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। शनिवार को रायपुर इंटरनेशल फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने आए तिग्मांशू ने इस मुद्दे पर दैनिक भास्कर से बात की। वह अक्सर कई मंचों पर सार्वजनिक तौर पर सरकार और सिस्टम के खिलाफ राय रखते देखे गए हैं। इस पर जब उनसे पूछा गया कि सरकार की बुराई करने, उसकी नीतियों के खिलाफ बोलने पर परेशानी होती हैं ? जवाब में उन्होंने कहां कि हां, ऐसा होता है...क्योंकि लोग बंट गए हैं, घरों में भी लोग बंट गए।


 


 



जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके साथ ऐसा हुआ है ? इस पर तिग्मांशू ने कहा कि मैं पिछले ढाई साल से झेल रहा हूं एक प्रॉब्लम को, मैं उसको बोलना नहीं चाहता, क्योंकि मैं बोल दूंगा तो आप लोग लिख देंगे तो मेरी दिक्कत और बढ़ जाएगी।


सीएए की जरूरत क्या है?


इससे पहले तिग्मांशू ने सीएए के मुद्दे पर कहा कि मुझे यह नहीं समझ आता है कि इसकी (सीएए) जरूरत क्या है, अभी देश को। यह गलत है, यह नहीं होना चाहिए। इस वक्त जरूरत किसी और चीज की है। लोगों को रोजगार देने की जरूरत है। दिखा दिया न आम आदमी पार्टी ने करके, वही है जवाब। अरविंद केजरीवाल ने दे दिया जवाब। अब बार-बार इस पर सवाल करने की जरूरत नहीं। तिग्मांशू धूलिया पान सिंह तोमर, साहेब बीवी और गैंगस्टर, बुजेट राजा जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। धुलिया ने अपना करियर फिल्ममेकर शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से किया था। इसमें वो कास्टिंग डायरेक्टर थे। फिल्म गैंग्स ऑफ वसेपुर में भी अपने अभिनय से खासे पसंद किए गए।


फेस्टिवल का शनिवार को हुआ समापन
रायपुर में सिविल लाइंस स्थित संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम में इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। यहां तिग्मांशू धूलिया की फिल्म राग देश की स्क्रीनिंग भी की गई। स्क्रीनिंग के बाद उन्होंने लोगों से इस फिल्म के बारे में बातचीत की। तीन दिनों तक चले फिल्म फेस्टिवल का शनिवार की शाम समापन हो गया।